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दशकों पुराने दर्द से राहत देता है सिंटा - एक सच्चा अनुभव

दशकों पुराने दर्द से राहत देता है सिंटा – एक सच्चा अनुभव

मैं एक खुशहाल घर में पला-बढ़ा हूं, लेकिन जब मैं अपने पुश्तैनी घर गया, तो वहाँ जो देखा उसे देखने के बाद मै हैरान रह गया, मैंने देखा कि मेरी नानी दर्द, गठिया और अचल (जोड़ों का दर्द) से पीड़ित थीं। उन्हें खाना खिलाना, नहाना, उनके कपड़े बदलना, मेरे नानाजी के प्रतिदिन के कार्यों का हिस्सा था और नानाजी खुशी-खुशी ये सारे काम करते थे। (यह बात 70 के दशक की है )

इस आर्टिकल मैं आपसे अपनी माँ की कहानी शेयर करने जा रहा हूँ।

मेरी माँ ललित मोहनी मल्होत्रा भारत के तरफ से एशियाई खेलों के लिए चुनी गई पहली महिला एथलीट थी। जिन्हें  बाद में कई सालों तक घुटनें और कमर के दर्द से जूझना पड़ा। उनकी कहानी कुछ इस प्रकार है जिसमें कई पड़ाव आते हैं।

पहला परामर्श: एक चिकित्सक के साथ

90 के दशक के मध्य में मैं बहुत उत्साहित था; डिस्कवरी चैनल में मुझे एक जॉब मिली थी, मैं दुनिया घूम रहा था, और पैसा कमा कर उसे जमा करने में लगा था।

मेरी माँ, जो अपनी माँ की तरह यानी की मेरी नानी कि तरह चलते-चलते घुटनों में दर्द की शिकायत करने लगी। वह मुश्किल से 58 वर्ष की रही होगी (वह जल्द ही 83 वर्ष की हो जाएंगी)। इसलिए मैं उन्हें पटेल नगर के एक डॉक्टर के पास ले गया। उन्होंने कुछ दवा बताई, लेकिन हमने इसे हल्के में लिया। मैंने सोचा की ठीक हो जाएगा आम बीमारी की तरह।

वैकल्पिक चिकित्सा और उपचार 

तब तक, हमारे परिवार के लोग सांत्वना, स्वतंत्रता और प्रार्थना के वैकल्पिक मार्ग का अनुसरण कर रहे थे, जो आपके अपने दर्द और कर्म से निपटने की संभावनाओं की दुनिया है, और ये उनको लगता था की सही मार्ग है। 90 के दशक के अंत में हमें किसी ने रेकी के बारे में बताया और हम रेकी ग्रैंड मास्टर से मिलें। माँ ग्रैंड मास्टर (भगवान उनकी आत्मा को शांति दें) के उपचार सत्रों से काफ़ी लाभान्वित हुई।

आत्म प्रबंधन

2000 के दशक के मध्य में, जीवन लम्बी उड़ान को बढ़ रहा था, और हमारे करियर भी आगे बढ़ रहे थे। माँ इस वक्त घर में काफी सक्रिय हो गई थीं, और हमारी बेटी के पालन-पोषण में भरपूर योगदान भी दिया।  उनके योगदान से  हम अपने जीवन और करियर में आगे बढ़े। वो अपने स्वास्थ्य और दर्द को हमसे छुपा कर चल रही थी क्योंकि मेरे पिता जी को हृदय रोग था और डॉक्टर के पास समय समय पर जाना पड़ता था। मेरी माँ किसी भी तरह अपने दर्द और समस्याओं के साथ अपने दम पर थी, किसी को परेशान नहीं करना चाहती थी और और कभी भी हार नहीं मानती थी।

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आयुर्वेद और चिकित्सा

बाद में जैसे-जैसे साल बीतते गए, मैंने केरल आयुर्वेद मालिश केन्द्र में एक डॉक्टर को उनके लिए नियुक्ति किया जो मालिश कर सके; लेकिन उसने और अन्य डॉक्टरों ने मेरी माँ को डरा दिया कि वह निष्क्रिय हो जाएँगी। कभी-कभी डॉक्टर मरीज को डरा कर अच्छे से ज़्यादा नुकसान करा देते हैं और यही मेरी माँ के साथ हुआ। इस विचार को मेरी माँ कर पा रही थीं। उन्हें मेरी नानी की असहाय स्थिति अक्सर याद आने लगी और वह निरंतर उदास रहने लगी। डर से उनका आत्मबल गिरने लगा।

पड़ोस की सुविधा

फिर हम एक चैरिटेबल ट्रस्ट में एक आर्थोपेडिक डॉक्टर से नियमित परामर्श लेने लगे। लगातार फिजियोथेरेपी सत्र, न्यूरोबियन इंजेक्शन, हीट थेरेपी और वैक्स थेरेपी, उसने यह सब किया।

सर्जन या सर्जरी कॉल

एक प्रसिद्ध अस्पताल में घुटने बदलने के व्यापक अनुभव वाले ऑर्थो सर्जन के सत्र में भाग लिया, जिससे वह और अधिक डर गई। उस डॉक्टर ने मेरी माँ को यह कहकर प्रेरित किया की 90 के दशक में एक प्रख्यात कलाकार और हमारे पड़ोसी जोहरा सहगल का उन्होंने घुटने बदल दिए थे। फिर हम  स्पोर्ट्स मेडिसिन डॉक्टरों के पास और अधिक दौरे लगने लगे जो पहले से अधिक पैसा चाहते थे।

अंत में, हमने नियमित रूप से एक ऑर्थो सर्जन (जो मेरे बचपन के दोस्त हैं) से परामर्श करना शुरू कर दिया। दर्द अब पीठ, टेलबोन तक पहुँच चुका था और माँ कई  सालों तक उनके इलाज और मार्गदर्शन में रहीं। उसने इससे सख्ती से निपटा।

एक पुरानी कहावत है कि हथौड़े से सिर्फ कील देखी जा सकती है (हालांकि उन्होंने माँ को काफ़ी अच्छी तरह से अपने दोनों घुटनों में दो या तीन बार इंजेक्शन लगाने के लिए संभाला और हमें सही से निर्देशित भी किया), लेकिन एक सर्जन केवल सर्जरी देख सकता है।

उन्होंने अंततः एक-एक करके तीन सर्जरी करवाने की सलाह दी, पीठ और दोनों घुटनों की। हम फिर से यह सोचकर हैरान हो गए कि उसके जीवन के लगभग 2-3 साल सर्जरी से ठीक होते-होते ही निकल जाएंगे। सर्जरी हमारे लिए सही विकल्प नहीं था, हमें और रास्ते ढूंढ़ने लगे।

फिर से एक नया विकल्प 

नूगा बेड, एक्यूपंक्चर कलाकारों और यहां तक कि पुरानी दिल्ली के एक हाकिम के पास विकल्प ढूंढा जिसने उसकी नसों को सीधा किया और उन्हें थोड़ी देर चलने के लिए सक्षम बनाया। उस यात्रा के दौरान वहाँ माँ ने  मेरे साथ जामा मस्जिद के करीम में पहली बार भोजन किया जिसका उन्होंने हाकिम की परामर्श से अधिक आनंद लिया।

सिनंटा द मैजिक वर्ड / वैंड

संजीव सरना, जो अच्छे दिल के साथ प्रतिभाशाली इंसान हैं, जिनसे मैं दो दशकों से परिचित हूँ और जो हमें  सामाजिक रूप से मिलते हैं और जीवन के संकटों में मार्गदर्शन करते हैं। उन्होंने मेरे परिवार को कई अन्य उपचार (आयुर्वेद) और एक दर्द निवारक तेल की पेशकश की। हालाँकि, मेरी माँ कई वर्षों से इसका उपयोग करने से हिचक रही थी। ओह कपड़े की गंध, ओह चादरों की गंध, यह सब बेवजह बहाने थे।

तीन सर्जरी के बारे में सोचना छोड़कर मेरी माँ ने अपने घुटनों, पैरों और पीठ पर उदारतापूर्वक दिन में एक बार सिंटा दर्द निवारक तेल लगाना शुरू किया। अब वह आसानी से चल सकती है, आराम से सो सकती है, टीवी देख सकती है।  ये सब असंभव और एक सपना लग रहा था। वह 82 वर्ष की उम्र में काफी स्वतंत्र और उत्साही हैं और अब 83 वर्ष की होने जा रही हैं।

सिन्टा और आयुर्वेद का बहुत-बहुत धन्यवाद, जिससे उनका जीवन दर्द रहित, संभव और खुशहाल बन गया है। यह एक लंबा है, लेकिन यह श्रद्धांजलि और  दिल से एक प्रशंसापत्र है, जैसा कि आप देख और महसूस कर सकते हैं। बहुत बहुत धन्यवाद, सिन्टा।

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